जादुई शब्द
आलेख | चिन्तन ममता मालवीय 'अनामिका'15 Jan 2024 (अंक: 245, द्वितीय, 2024 में प्रकाशित)
कभी-कभी कुछ शब्द, जादू जैसा असर करते हैं। मानों एक पल में किसी ने नासूर घाव पर हाथ फेर उसे भर दिया हो या फिर सुनसान किसी रेगिस्तान में खड़े किसी व्यक्ति को, कोई राहगीर मिल गया हो। जादुई शब्द हू-ब-हू ऐसा ही असर करते हैं।
आज संसार में हर मर्ज़ की दवा है, मगर कुछ रोग ऐसे हैं, जिन्हें मात्र कुछ जादुई शब्द ही भर पाते हैं। मुझे भी ऐसे ही शब्द सुनने को मिले, मेरी एक नई दोस्त से।
‘हृतंभरा मैम’ को मैं पिछले एक वर्ष से जानती हूँ। जब पहली दफ़ा उन्हें देखा; तब से मुझे, उनसे एक अलग-सा लगाव महसूस होता रहा है। दिन गुज़रते रहे और पता ही नहीं चला, कब वे मेरे जीवन में एक महत्त्वपूर्ण किरदार बन गई।
वे मेरी गुरु हैं, मगर उनमें मुझे कई रिश्ते मिले, एक सच्चा मार्गदर्शक, शुभचिंतक और कभी-कभी माँ का लाड़-प्यार और दुलार भी मिला। जब-जब मेरे जीवन में परेशानियाँ आई, उन्होंने कस कर मेरा हाथ थामा।
वे अक़्सर मुझसे कहती हैं: “मैं हर वक़्त, हर क़दम पर, हमेशा आपके साथ हूँ। आप जब चाहें, मुझसे अपने मन की बात कह सकती हैं।” और यही शब्द मेरे जीवन में जादू सा असर कर जाते हैं।
निसंदेह आज भी कई लोग ऐसे हैं, जो बिना किसी स्वार्थ के आपसे दिल से जुड़ जाते हैं। बिन कुछ कहे, ख़ामोशी से आपके जीवन में एक सुन्दर सा आशियाना बना लेते हैं। अपनी महक से वो, आपके संपूर्ण जीवन को महका देते हैं। और ऐसे ही लोग, संसार की सबसे ख़ूबसूरत दुनियाँ ख़ुद में बचाए हुए है। मेरे जीवन में ‘हृतंभरा मैम’ वही व्यक्ति हैं, जिन्होंने अपनी महक से मुझे सुगंधित रखा है।
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