सृजन की ढिठाई
काव्य साहित्य | कविता क्षितिज जैन ’अनघ’15 Feb 2024 (अंक: 247, द्वितीय, 2024 में प्रकाशित)
मुझे लगता है हर सृजन के लिए
चाहिए होती है
थोड़ी ढिठाई
थोड़ी बेहयाई
और थोड़ी सी
चिकने घड़े वाली चिकनाई
तभी
अपने लिखे को काटकर
उसपर लकीटे मारकर
हम लिख सकते हैं कविता
बनाकर अपने
कविता में असफल प्रयासों को
विचारों की उर्वर खाद!
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