कुछ बच्चे समझ जाते हैं
काव्य साहित्य | कविता डॉ. खेमकरण ‘सोमन’1 Jun 2022 (अंक: 206, प्रथम, 2022 में प्रकाशित)
कुछ बच्चे पैदा होते ही
समझ जाते हैं रोटी-दाल का महत्त्व
लेकिन संसद में पहुँचे सांसद को
लग जाता है पूरा जीवन
समझने में!
समझ जाते हैं
हवा, पानी, धूप
तन पर एक क़मीज़-पैंट होने का महत्त्व
लेकिन संसद में पहुँचे सांसद को
लग जाता है पूरा जीवन
समझने में!
समझ जाते हैं स्कूल-शिक्षा का महत्त्व
समझ जाते हैं माता-पिता की मृत्यु के बाद
अनाथ होकर
इस दुनिया में जीने का महत्त्व!
लेकिन संसद में पहुँचे हुए सांसद को
लग जाता है पूरा जीवन
समझने में!
कुछ बच्चे समझ जाते हैं
किराये का शरीर
किराये के प्राण
जिन्हें अभाव की इस घड़ी में
अब छोड़ना ही उचित
लेकिन संसद में पहुँचे हुए सांसद को
लग जाता है पूरा जीवन
यह समझने में!
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