टीवी
काव्य साहित्य | कविता डॉ. खेमकरण ‘सोमन’1 Jun 2022 (अंक: 206, प्रथम, 2022 में प्रकाशित)
सौ रुपये के स्टाम्प पेपर पर
हुआ चोरी-छिपे भारी-भरकम
गुपचुप एक समझौता
जो काम सदियों से
कर नहीं सके ज्वालामुखी,
वही काम करेंगे अब घर-घर में टीवी
तब से कई प्रकार के विषैले तत्वों को शामिल कर
टीवी उगल रहा है दिन-प्रतिदिन
गर्म लावा, गैस, राख, गूँह-पाद
मल-गंदगी
लोग भी
इसी में जीने के लिए अभिशप्त हैं—
जैसे अमीर बेटों के बूढ़े माता-पिता
वृद्धाश्रम में।
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