आप हार गए तो
कथा साहित्य | लघुकथा डॉ. खेमकरण ‘सोमन’15 Jul 2022 (अंक: 209, द्वितीय, 2022 में प्रकाशित)
अखियाँ टकराईं और प्यार हो गया। इस प्यार को उन्होंने लम्बे समय तक बनाए रखा। यह देख, दोनों धर्मों, दोनों संस्कृतियों ने भी, उन्हें रोकना उचित न समझा। फलतः उनकी शादी हो गई। नई ज़िन्दगी, पाकर दोनों खिल उठे। खेत-खलिहान, आसमान, शहर दर शहर उड़ने लगे।
एक शाम, लूडो खेलते समय सादमा ने कहा, “आकाश . . . आप हार गए तो?”
आकाश ने झूमते हुए कहा, “मैं हार गया तो, आज डिनर मैं बनाऊँगा। यदि जीत गया तो डिनर हम, बाहर करेंगे।”
परिणाम आया। आकाश जीत गया था।
कुछ दिनों बाद एक अन्य शाम, कैरम खेलते हुए सादमा बोली, “जानू! आप हार गए तो?”
आकाश मुस्कुराकर बोला, “माई लव, हम आपसे पहले ही हार चुके हैं!”
सादमा मुस्कुराई, “मैं कैरम की बात कर रही हूँ!”
आकाश की आँखें नाच उठीं, “ओह कैरम! मैं हार गया तो इस संडे अपनी दोनों साली साहिबा को बुलाऊँगा। फिर हम फ़िल्म देखने चलेंगे। और जीत गया तो, आप और मैं, लॉन्ग ड्राइव चलेंगे।”
परिणाम आया। आकाश फिर जीत गया था; परन्तु उसने रीड किया कि सादमा कुछ कहना चाहती है। लेकिन कह नहीं पा रही! यह सब उसे, उसी दिन सादमा की डायरी में लिखा हुआ मिल गया। ओह . . . डायरी का एक-एक शब्द, पढ़कर आकाश ने लम्बी साँस ली। सोचने लगा, यह भी कोई दिल में रखने वाली बात है। उसे प्रतीत हुआ कि वह सादमा का विश्वास अभी, जीत नहीं पाया है। वह उसी समय मॉल चला गया। लगभग एक घण्टे बाद लौटा तो सादमा के लिए ढेर सारे गिफ़्ट, ढेर सारे कपड़े। सादमा की पसंद के फ़ास्ट फ़ूड भी। सादमा, शादी के दिन की तरह, खिल उठी।
डिनर के बाद, खेल फिर सज उठा। सादमा ने खेल को ‘नेक्स डे’ पर टालना चाहा परन्तु आकाश के मान-मनुव्वल और प्यार के आगे वह हार गई। इस बार दोनों शतरंज खेल रहे थे।
आकाश ने कहा, “बेबी, आप जीत गईं तो?
सादमा ने कुछ सोचकर कहा, “आकाश! यह बात यदि जीत के बाद बताऊँ तो?”
आकाश ने मुस्कुराकर सादमा को ग़ौर से देखा। एक पल के लिए स्वतः ही सादमा की डायरी के शब्द उसके आगे-पीछे घूमने लगे, “एक प्राईवेट डिग्री कॉलेज से पढ़ाने का ऑफ़र है। पढ़ाना तो चाहती हूँ, परन्तु आकाश को अभी ठीक-ठीक, समझ नहीं पाई हूँ। अन्तर्द्वन्द्व में भी हूँ . . . पूछूँ कि नहीं पूछूँ? कहीं उन्होंने नहीं कह दिया तो . . . यह ‘नहीं’ सह नहीं पाऊँगी। शादी के तीन माह बीत चुके हैं। अब तो उन्हें स्वयं ही समझ लेना चाहिए कि हाई एजुकेटेड हूँ। मेरे मन में भी कुछ करने की चाहत है। मेरा भी कुछ अस्तित्व है। या जीवन-पर्यन्त रोटी ही बनाती रहूँ।”
चेक . . .! और इसी के साथ परिणाम आ गया। आकाश हार चुका था। सादमा ख़ुशी से, आकाश के गले गई। जैसे, खेल के अंत में उसका प्रोफ़ेसर पति, आकाश भी किया करता था।
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