राणा सांगा का वंशज
काव्य साहित्य | कविता दिलीप सिंह शेखावत1 Apr 2025 (अंक: 274, प्रथम, 2025 में प्रकाशित)
मैं राजपूत, मैं शूरवीर,
मैं उस राणा का वंशज हूँ।
ले अस्सी घाव लड़े रण में,
मैं उस सांगा का वंशज हूँ।
वो रणशूर करे संग्राम,
युद्धभूमि की माटी पर,
रक्त बहाकर सींची धरा,
है गर्व मुझे इस माटी पर।
एक आँख नहीं, एक हाथ नहीं,
एक पाँव पे युद्ध में जाते थे,
वो रणबंका सांगा जिससे,
शत्रु रण में डरकर थर्राते थे।
सिंह संग्राम की जीवन गाथा,
अब क्या सियार सुनाएँगे,
जो अपने लहू से इतिहास लिखे,
अब उनको इतिहास बताएँगे।
है गर्व मुझे इस राजस्थान पर,
मैं इस माटी का वंशज हूँ,
गर्व मुझे अपने कुल पर,
मैं शूरवीरों का वंशज हूँ।
मैं राजपूत, मैं शूरवीर,
मैं उस राणा का वंशज हूँ।
ले अस्सी घाव लड़े रण में,
मैं राणा सांगा का वंशज हूँ।
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