बसंत
काव्य साहित्य | कविता अ कीर्तिवर्धन14 Mar 2015
बसंत आगमन
ऋतु परिवर्तन,
पीत पत्तों का रुदन
नव सृष्टि का सृजन|
पशु पक्षियों का कलरव
मानव के मन में हलचल
भौंरों का बढ़ता गुंजन
उपवन में बढ़ती थिरकन।
शिशिर ऋतु का हुआ अंत
नई फसलों का शुरू आगमन
घर घर में उत्सव भारी
बसंत आगमन कि तैयारी।
जीवन के प्रति करे उमंगित
बसंत आगमन करे तरंगित
जीवन में रस भर देता
मन में खुशियाँ भर देता॥
नव सृष्टि को अंकुरित करता
जीवन में आशाएँ भरता
उपवन में पुष्पों को भरता
भौंरों को गुंजन देता।
जीवन को गति देता
परिवर्तन का करता स्वागत
नव सृष्टि का करता सृजन
बसंत आगमन-बसंत आगमन।
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