हीरा है सदा के लिए
काव्य साहित्य | कविता उत्तम टेकड़ीवाल10 Feb 2017
भस्म कर दी हमने सारी इच्छाएँ
हवन की ज्वाला बन छू ली दिशाएँ
धुँआ हो गया अहम का पाला
प्यार ने मुझे कोयला कर डाला
गर्द की अनगिनत पर्तों को कुरेद कर
तप की तोप से दिवारों को भेद कर
दूर हुआ सब दर्द, हरी हर पीड़ा
चमक उठा जब हृदय का हीरा
तराश कर निखार कर सँवरे रूप
प्रभु प्रेम की पा कर लुभावनी धूप
प्रकाशमान है आत्मा आंनद स्त्रोत लिए
अंतरमन में बसता हीरा है सदा के लिए
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