क्या कभी वो दिन आएँगे?
काव्य साहित्य | कविता खुशी1 Jun 2021 (अंक: 182, प्रथम, 2021 में प्रकाशित)
जो सवाल मेरे मन में है,
उनके उत्तर मिल जाएँगे।
बार-बार पूछता है मन मेरा
क्या कभी वो दिन आएँगे?
मैं प्यार का इज़हार करूँगी,
उसके हाथ भी आगे आएँगे।
क्या किसी बरसात में
हम दोनों गले लगाएँगे?
साथ बैठकर बातें करेंगे,
सुख-दुःख का हाल बताएँगे।
क्या किसी दिन हाथ पकड़कर
हम दोनों घूमने जाएँगे?
वो देगा फूल गुलाब का,
फिर संग दोनों मुस्काएँगे।
क्या कभी साथ मिलकर
हम गीत प्यार के गाएँगे?
साथ हँसी ठिठोली होगी,
रूठेंगे, मनाएँगे।
क्या मेरे जन्मदिन पर मुझे
उसके तोहफ़े मिल पाएँगे?
हम दोनों एक होंगे,
साथ समय बिताएँगे।
बार-बार पूछता है मन मेरा
क्या कभी वो दिन आएँगे?
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