ये मेरा देश!
काव्य साहित्य | कविता सुनिल यादव 'शाश्वत’15 Apr 2021 (अंक: 179, द्वितीय, 2021 में प्रकाशित)
ये मेरा देश,
है सुंदर वेष,
ये धरती अति विशेष,
करूँ तारीफ़ में इसकी पेश।
है सबकी जान,
मेरा अभिमान,
ये हिंदुस्तान,
बढ़ाये मान।
नदियों पे बाँध,
मुठ्ठी में चाँद,
खेल में दंगल,
मिशन में मंगल।
सोने की चिड़िया,
हीरे के खान,
ताने सीना-सीमा पर,
तैनात खड़े है वीर जवान।
ये वीरों का धाम,
जहाँ जन्मे थे श्रीकृष्ण-राम,
हम सबका काम,
तिरंगे के नाम।
मिटाके सारे द्वेष,
विकास करे हम तेज़,
ये संदेश सभी को भेज,
नवयुग में करें प्रवेश।
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