किसे बताऊँ?
काव्य साहित्य | कविता संजीव ठाकुर1 Dec 2019 (अंक: 145, प्रथम, 2019 में प्रकाशित)
किसे बताऊँ
उसने
मेरे हृदय पर मूत दिया है?
कचरे की टोकरी
रख दी है
नाक पर!
मेरी कमज़ोरी तुम जानते हो
कृपा कर किसी को नहीं बताना –
मैं अव्वल दर्जे का पाजी हूँ
मेरे पास वह सब नहीं
जो ज़रूरी है जीने के लिए
आज की परिभाषा में!
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