नई ड्रेस
बाल साहित्य | बाल साहित्य कविता संजीव ठाकुर15 Apr 2020 (अंक: 154, द्वितीय, 2020 में प्रकाशित)
नई ड्रेस लेकर आए हैं
मेरे दादा जी
पिंक कलर की ड्रेस है यह तो
वाह जी, दादा जी!
कहाँ मिली यह इतनी सुंदर
फूलों वाली ड्रेस
इसे पहनकर मैं महकूँगी
वाह जी, दादा जी !
छोटी की तो फ़्रॉक नहीं
मेरी वाली से कम है
परी लगेगी इसे पहनकर
वाह जी, दादा जी !
और मियाँ मुन्ने के कपड़े
गायक जैसे हैं जी
क़व्वाली गाएगा वह तो
वाह जी, दादा जी !
मम्मी की साड़ी लाए हो
नीली बार्डर वाली
हो जाएगी वह मतवाली
वाह जी, दादा जी !
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