जिह्वा
काव्य साहित्य | कविता प्रो. डॉ. नानासाहेब जावळे15 Aug 2022 (अंक: 211, द्वितीय, 2022 में प्रकाशित)
जिह्वा के हैं अनेक नाम
रसना, रसज्ञा, रसिका, वाचा, वाणी, ज़बान
न केवल भोजन का स्वाद चखना इसका कार्य
स्वरों को नियंत्रित कर संवाद करना भी महत् कार्य
अपनी कोशिकाओं से रस छोड़कर
अन्न पचाने में यह माहिर
वाक्बाणों से दूसरों को
छलनी करने में यह माहिर
जब बोले कोई मीठी वाणी
तो कठोर व्यक्ति भी पिघल जाए
जब बोले कोई कड़वी बातें
तो साधुजन भी तिलमिलाएँ
मीठी बातें करने वालों को
बड़ा इनाम और सम्मान
कड़वी बातें करने वालों को
हाथी पाँव देने का फ़र्मान
कहा था किसी शायर ने
क़ुदरत को पसंद नहीं सख़्ती बयान में
शायद इसलिए होती नहीं
कोई हड्डी ज़ुबान में
कहा जाता है दुनिया में
ज़बान अच्छी तो सब अच्छा
कहा जाता है दुनिया में
ज़बान बुरी तो सब बुरा
अतः हम सभी को हमेशा
कबीर का संदेश याद रखना होगा
वाणी को नियंत्रित रखकर
औरों को शीतल करना होगा
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