लड़की हूँ मैं, लड़ सकती हूँ
काव्य साहित्य | कविता निहाल सिंह1 Jun 2023 (अंक: 230, प्रथम, 2023 में प्रकाशित)
नदिया सी बह सकती हूँ
बयार सी उड़ सकती हूँ
ज्वाला सी जल सकती हूँ
मोम सी पिघल सकती हूँ
लड़की हूँ मैं, लड़ सकती हूँ
जग से आगे बढ़ सकती हूँ
भीड़ में भी निकल सकती हूँ
सुत से ज़्यादा पढ़ सकती हूँ
फूल की भाँति खिल सकती हूँ
लड़की हूँ मैं, लड़ सकती हूँ
मीलों पैदल चल सकती हूँ
दामिनी सी चमक सकती हूँ
जीमूत सी बरस सकती हूँ
धूलिका सी महक सकती हूँ
लड़की हूँ मैं, लड़ सकती हूँ
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