शजर से नये फल निकल आते हैं
शायरी | ग़ज़ल निहाल सिंह15 Jun 2023 (अंक: 231, द्वितीय, 2023 में प्रकाशित)
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शजर से नये फल निकल आते हैं
परिन्दों के भी पर निकल आते हैं
कभी सूखी थी ये ज़मीं दूर तक
जहाँ कितने ही घर निकल आते हैं
अभी दर्द भी है छुपा ऑंखों में
कि जिनमें समंदर निकल आते हैं
तेरी ऐसी बातें कभी सुन के फिर
व्रण दिल के अंदर निकल आते हैं
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