कुछ नये रिश्ते ढूँढ़ते हैं
शायरी | ग़ज़ल निहाल सिंह15 Aug 2022 (अंक: 211, द्वितीय, 2022 में प्रकाशित)
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कुछ नये रिश्ते ढूँढ़ते हैं
चिट्ठी के पन्ने ढूँढ़ते हैं
भीड़ में खो गया मैं जिनसे,
मेरे वो बेटे ढूँढ़ते हैं
पेड़ पर बैठे बच्चे सारे,
आम के टुकड़े ढूँढ़ते हैं
गाँव में आये शहर के लोग,
रास्ते पक्के ढूँढ़ते हैं
बाग़ में फिरते पगले भँवरे,
फूलों के गुच्छे ढूँढ़ते हैं
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