सारा दिन घर में शोर करते हैं
शायरी | ग़ज़ल निहाल सिंह15 Aug 2022 (अंक: 211, द्वितीय, 2022 में प्रकाशित)
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सारा दिन घर में शोर करते हैं
बच्चे ये कितने अच्छे लगते हैं
रूठ जाते हैं काठ की ख़ातिर,
मिल अगर जाए फिर तो हॅंसते हैं
ख़ूब पढ़ते हैं हफ़्ते भर लेकिन,
सन्डे को देर से ही उठते हैं
माँ के ऑंचल में छुप ये जाते हैं
पा की अंगुलि पकड़ के चलते हैं
घर में कागज़ की क़श्ती को दिनभर,
पानी में छोड़ते ये रहते हैं
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