इधर पुर में तो प्रदूषण बहुत है
शायरी | ग़ज़ल निहाल सिंह15 Jun 2023 (अंक: 231, द्वितीय, 2023 में प्रकाशित)
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इधर पुर में तो प्रदूषण बहुत है
चलो बस्ती वहाँ गुलशन बहुत है
हवेली तो नहीं रहने की ख़ातिर
अभी मिट्टी का इक ऑंगन बहुत है
वहाँ पर तितलियाँ भी तो मिलेंगी
चलो खेतों में तुम उपवन बहुत है
गले हॅंसकर लगा लो तुम क़ज़ा को
अभी जीवन में तो उलझन बहुत है
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