अनोखा रिश्ता
काव्य साहित्य | कविता डॉ. नीरू भट्ट15 Jul 2025 (अंक: 281, द्वितीय, 2025 में प्रकाशित)
बालकनी में स्वतः उगी
नीले फूल वाली
जंगली बेल की पतली कोमल शाखाएँ
खिड़की की ओर बढ़ती चली जातीं।
खिड़की के खुलते ही
उसे छूने की चेष्टा करती।
एक सुहावनी सुबह
अपने प्रयास में सफल हो गयी
खिड़की से ऐसी लिपटी
जैसे सालों बाद
किसी बहन ने
भाई की कलाई में
बाँधी हों अनेकों राखी।
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