अन्तरजाल पर
साहित्य-प्रेमियों की विश्राम-स्थली

काव्य साहित्य

कविता गीत-नवगीत गीतिका दोहे कविता - मुक्तक कविता - क्षणिका कवित-माहिया लोक गीत कविता - हाइकु कविता-तांका कविता-चोका कविता-सेदोका महाकाव्य चम्पू-काव्य खण्डकाव्य

शायरी

ग़ज़ल नज़्म रुबाई क़ता सजल

कथा-साहित्य

कहानी लघुकथा सांस्कृतिक कथा लोक कथा उपन्यास

हास्य/व्यंग्य

हास्य व्यंग्य आलेख-कहानी हास्य व्यंग्य कविता

अनूदित साहित्य

अनूदित कविता अनूदित कहानी अनूदित लघुकथा अनूदित लोक कथा अनूदित आलेख

आलेख

साहित्यिक सांस्कृतिक आलेख सामाजिक चिन्तन शोध निबन्ध ललित निबन्ध हाइबुन काम की बात ऐतिहासिक सिनेमा और साहित्य सिनेमा चर्चा ललित कला स्वास्थ्य

सम्पादकीय

सम्पादकीय सूची

संस्मरण

आप-बीती स्मृति लेख व्यक्ति चित्र आत्मकथा वृत्तांत डायरी बच्चों के मुख से यात्रा संस्मरण रिपोर्ताज

बाल साहित्य

बाल साहित्य कविता बाल साहित्य कहानी बाल साहित्य लघुकथा बाल साहित्य नाटक बाल साहित्य आलेख किशोर साहित्य कविता किशोर साहित्य कहानी किशोर साहित्य लघुकथा किशोर हास्य व्यंग्य आलेख-कहानी किशोर हास्य व्यंग्य कविता किशोर साहित्य नाटक किशोर साहित्य आलेख

नाट्य-साहित्य

नाटक एकांकी काव्य नाटक प्रहसन

अन्य

रेखाचित्र पत्र कार्यक्रम रिपोर्ट सम्पादकीय प्रतिक्रिया पर्यटन

साक्षात्कार

बात-चीत

समीक्षा

पुस्तक समीक्षा पुस्तक चर्चा रचना समीक्षा
कॉपीराइट © साहित्य कुंज. सर्वाधिकार सुरक्षित

लैपटॉप की बीमारी 

आख़िरकार लैपटॉप का अंग-प्रत्यारोपण सफलतापूर्वक सम्पन्न हुआ और अब वह पूरी ऊर्जा और उत्साह के साथ अपना काम कर रहा है। 

लगभग तीन साल पहले एक बड़ी इलेक्ट्रॉनिक्स की दुकान से उसे ख़रीदा गया। दिखने में सुन्दर, चमकदार, स्लिम बॉडी और काम भी उतनी ख़ूबसूरती से करता था। कुछ लिखना हो, गणित या सांख्यिकी की कोई समस्या हो या पॉवर पॉइन्ट, मिनटों में काम पूरा। 

छह महीने पहले उसकी गति में थोड़ा कमी आई, बहुत सुस्त हो गया था। हमें लगा शायद उम्र बढ़ने से इम्यूनिटी कम हो गयी है। हम उसको डॉक्टर (टेक्नीशियन) के पास ले गए तो पता चला उसको बहुत सारे वाइरस ने संक्रमित कर दिया था। हालाँकि जब हमने ख़रीदा था तो उसका पूरा वेक्सीनेशन (एंटी वायरस) कराया था। उस वेक्सीनेशन की मियाद ख़त्म हो गयी थी और हमने ध्यान नहीं दिया। ख़ैर! उसका फिर से वेक्सीनेशन करवा कर हम घर आये। 

कुछ दिन सब ठीक रहा, लेकिन फिर उसकी गति में कमी आ गयी और जल्दी-जल्दी उसकी ऊर्जा ख़त्म होने लगी। हमने खोला तो उसके पाचन तन्त्र में कुछ सूजन (इनफ्लमेशन) दिखाई दी। और अंग-प्रत्यारोपण के अलावा हमारे पास और कोई विकल्प नहीं था। 

अन्य संबंधित लेख/रचनाएं

'हैप्पी बर्थ डे'
|

"बड़ा शोर सुनते थे पहलू में दिल का …

60 साल का नौजवान
|

रामावतर और मैं लगभग एक ही उम्र के थे। मैंने…

 (ब)जट : यमला पगला दीवाना
|

प्रतिवर्ष संसद में आम बजट पेश किया जाता…

 एनजीओ का शौक़
|

इस समय दीन-दुनिया में एक शौक़ चल रहा है,…

टिप्पणियाँ

कृपया टिप्पणी दें

लेखक की अन्य कृतियाँ

कविता

सांस्कृतिक आलेख

हास्य-व्यंग्य कविता

कहानी

हास्य-व्यंग्य आलेख-कहानी

बाल साहित्य कविता

स्मृति लेख

विडियो

उपलब्ध नहीं

ऑडियो

उपलब्ध नहीं