गर्व से भारतीय कहलाओ
काव्य साहित्य | कविता रमेश गुप्त नीरद1 Feb 2022 (अंक: 198, प्रथम, 2022 में प्रकाशित)
सद्भाव जन-जन हो परस्पर
देश रहे प्रगति के पथ पर।
आतंक का कोहरा हटाओ,
प्रेम हर हृदय में जगाओ।
दीवार खड़ी न करो बीच में
भाषा हो या धर्म किसी में।
सब अपने अपनापन लाओ,
नहीं व्यर्थ में वैर बढ़ाओ।
एक राष्ट्र के हम हैं वासी
सुख-दुख के हम अविरल साथी।
अँधियारे को पदतल पाटो,
मन-आँगन उजियारा बाँटो।
चलो आज गणतंत्र पर्व पर,
नई सुबह की नई डगर पर,
भटकों को तुम राह सुझाओ
आने वाला कल दिखलाओ।
एक सूत्र में सब मिल बँधकर,
भेद-भाव समूल नष्ट कर,
राष्ट्र-प्रेम के भाव जगाओ
गर्व से भारतीय कहलाओ।
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