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नारी से नारी का सम्बन्ध: एक सांस्कृतिक परिप्रेक्ष्य

 

नारी से नारी का सम्बन्ध 
एक गूढ़ और पुरानी कथा, 
संवेदनाओं का गहरा नाता
समृद्ध परंपराओं का प्रतिबिंब। 
 
दादी-नानी का पोती-दोहती से 
अपनत्व, स्नेह, और संजीवनी का सम्बन्ध, 
माँ-बेटी के बीच वात्सल्य का ऐसा बंधन
एक दूसरे के अस्तित्व का प्रतिबिंब। 
 
बहनों का अटूट सम्बल
संकट का साथी एवं भावनात्मक संबल, 
सहेलियों का परस्पर विश्वास
रहस्यमयी हमराज़ का सम्बन्ध। 
 
सास-बहू का रिश्ता, 
सत्ता, अधिकार और क्षमाशीलता का सम्मिलन, 
मौसी, मामी, और बुआ की ममता में, 
भाँजी-भतीजी के आत्मनिर्माण का सम्बन्ध। 
 
ननद-भाभी का समीकरण 
स्नेह, आलोचना और दूरी की चुप्पी, 
देवरानी-जेठानी के रिश्ते में 
कहीं गहरी ईर्ष्या तो कहीं सामंजस्य का सम्बन्ध। 
 
नारी स्वयं ही नारी की प्रतिद्वंद्वी बन, 
मानसिक संताप और अवसाद का स्रोत, 
परन्तु वही नारी दूसरी नारी की
प्रगति का आधार बनकर बनती है प्रेरणा स्रोत। 
 
सफलता का रहस्य केवल पुरुषों के साथ नहीं, 
महिलाओं के संघर्ष और समर्पण का भी स्पष्टीकरण। 
 
नारी से नारी का सम्बन्ध, 
सदियों से समाज में गूँजता 
एक गूढ़, गहन, और पारंपरिक कथानक
अतीत, वर्तमान और भविष्य का सम्बन्ध।

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