स्वीकार कर लो
काव्य साहित्य | कविता डॉ. योगेन्द्र नाथ शर्मा ’अरुण’31 Oct 2014
ज़िंदगी जो भी तुम्हें दे,
हँस कर उसे स्वीकार कर लो!!
ज़िंदगी देती सभी को,
इसलिए लगती है प्यारी!
काँटे मिलें या फूल, ले लो,
ज़िंदगी हमदम तुम्हारी!!
मौत को बस भूल जाओ,
जीवन को अंगीकार कर लो!!
मौत तो सब को डराती,
ज़िंदगी लोरी सुनाती!
सृजन का इक मंत्र देकर,
ईश्वर तुम को बनाती!!
सृजन को अपना बना कर,
ये धरा स्वर्ग समान कर लो!!
अमृत तुम्हारे पास ही है,
पहचान उसकी आज कर लो!
मिट सकेगा मौत का भय,
दिव्यता से हृदय भर लो!!
होगा अमर जीवन तुम्हारा,
कष्टों का सागर पार कर लो!!
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