फ़िलर्स
काव्य साहित्य | कविता पूजा अग्निहोत्री1 Apr 2025 (अंक: 274, प्रथम, 2025 में प्रकाशित)
मैं शामिल तुम्हारी ज़िन्दगी में फ़िलर्स की तरह
हूँ समर्पित पूरी तरह तुम्हारे लिये,
जिनसे हो तुम मुकम्मल भी,
पर जिनके होने का कोई फ़र्क़
नहीं तुम्हारे अस्तित्व पर
न ही तुम्हारे व्यक्तित्व पर
मैं बस शामिल हूँ तुम्हारी ज़िन्दगी में फ़िलर्स की तरह।
जब ना तरन्नुम में हो ग़ज़ल
या बेसुरा सा कोई नवगीत हो
या उलझा सा संगीत हो
ये भी सम्भव है कभी-कभी
बेबात कलेजा जाये मचल
मोहब्बत के बाद फिर सिफ़र
मैं बस शामिल हूँ तुम्हारी ज़िन्दगी में फ़िलर्स की तरह।
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