हिम्मत की क़ीमत
काव्य साहित्य | कविता रामदयाल रोहज15 Jul 2019
बैठे भरोसे भाग्य के
मंज़िल वो पा सकते नहीं
हिम्मत बिना दो वक़्त की
रोटी जुटा सकते नहीं
फोड़कर पाषाण ही
अंकुर जीवन पाता है
लोहा ले शीतोष्ण से
धरती पर लहराता है
शुष्क हो सागर कभी
तूफां मचा सकते नहीं
हो पवन कातर तो
तिनका भी हिला सकते नहीं
तोड़कर चट्टान को
नदियाँ निकलती हैं
शान से मैदान में
मस्ती से चलती हैं
एक छेनी ने पूर्ण
पर्वत हिलाया है
चीर उसका वक्ष
सीधा पथ बनाया है
चींटी भी आसानी से
अन्नकण को जुटा सकती नहीं
हिम्मत बिना मैदान भी
साथी कभी बनता नहीं
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