तूफ़ान थम चुका है
काव्य साहित्य | कविता दिव्या बोहरा1 Sep 2025 (अंक: 283, प्रथम, 2025 में प्रकाशित)
एक अरसे के गरम मिज़ाज़ के बाद,
मौसम ठंडा हो चुका है
पीछे तबाही का मंज़र छोड़,
तूफ़ान अब थम चुका है।
जो काले बादलों का समूह गरजकर चेतावनी दे रहा था,
वो शान्ति का प्रतीक बन चुका है
बरसात भर अश्रु बहाने के बाद,
तूफ़ान अब थम चुका है।
नदी का बहाव मार्ग भटकने के बाद,
अब पूर्ववत हो चुका है
हरियाले खेतों को बेरंग रेतीला कर
तूफ़ान अंततः थम चुका है।
अन्य संबंधित लेख/रचनाएं
टिप्पणियाँ
कृपया टिप्पणी दें
लेखक की अन्य कृतियाँ
कविता
विडियो
उपलब्ध नहीं
ऑडियो
उपलब्ध नहीं