अस्तित्व..
काव्य साहित्य | कविता नीतू झा1 Jun 2021 (अंक: 182, प्रथम, 2021 में प्रकाशित)
जीवन संघर्ष और संग्राम है
हार-जीत चलती रहती है
जब तक जीत का सपना मौजूद है
हार उसके मनोबल को तोड़ नहीं सकती
उसकी लड़ाई पूरी ताक़त से जारी रहती है
फिर उसकी जीत को कोई रोक नहीं सकता
एक कवि ( कुंवरनारायण) ने
कितनी सही बात कही है—
"हारा वही / जो लड़ा नहीं।"
तुम्हारी लड़ने की ताक़त ही
तुम्हारे भविष्य की निर्णायक है
जो लड़ने से डरता है
वह मौत से पहले मर जाता है।
हर आदमी को अपनी लड़ाई
ख़ुद लड़नी होती है
राम, कृष्ण, गाँधी . . .
हर बार नहीं आते
तुम्हारी लड़ाई लड़ने को
लड़ाई ही तुम्हारा अस्तित्व है
इसके बिना तुम्हारा कोई अस्तित्व नहीं
साथियो! लड़ते रहो लड़ते रहो
हर बुराई के ख़िलाफ़
तुम्हारा अस्तित्व ज़िन्दा रहेगा
तुम्हारी मौत के बाद भी।
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