नये वर्ष को आने दो
काव्य साहित्य | कविता रंजना जैन1 Jan 2022 (अंक: 196, प्रथम, 2022 में प्रकाशित)
अब नये वर्ष को आने दो
जो बीत गया उसे जाने दो
नव जीवन की ज्योति जलाकर
गम अंधकार मिट जाने दो
अब नये वर्ष को आने दो!!
आगे बढ़ना क़ुदरत क्रम है
विगत बात बिसराना ढंग है
पल पल जी लो जी भर भर कर
कोई कसर नहीं रह जाने दो
अब नये वर्ष को आने दो!!
चक्र ज़िन्दगी घूम घूम कर
ले आता परिवर्तन हर क्षण
अभिनंदन कर नव प्रकाश का
सुखद सृजन हो जाने दो
अब नये वर्ष को आने दो!!
जुड़ जाओ उद्गम धारा से
गुँथ जाओ मोती माला में
साँसों की सरगम लहरी में
संगीत सुगम बन जाने दो
अब नये वर्ष को आने दो!!
शुभ भाव लेखनी चलती जाये
शब्द दिलों को छूते जायें
राग द्वेष से परे गगन में
नयी किरण मुस्काने दो
अब नये वर्ष को आने दो!!
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