बसंती नूर
काव्य साहित्य | गीत-नवगीत रंजना जैन1 Mar 2021 (अंक: 176, प्रथम, 2021 में प्रकाशित)
(गीत)
हर तरफ़ हर जगह छा रहा
रंग बसंती नूर
धरा सजने लगी मानों हल्दी लगी
अनुपम छटा भरपूर!
गुनगुनाये पवन गीत मधु सुन्दरम्
खिलखिलाये कली झूमे सारा चमन
जश्न क़ुदरत का है ये ज़रूर!
हर तरफ़ हर जगह छा रहा
रंग बसंती नूर॥
कूक कोयल भरे दिल में रस रागिनी
लता आम्र की लागे शुभ कामिनी
देखो नाच उठा मन मयूर!
हर तरफ़ हर जगह छा रहा
रंग बसंती नूर॥
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