भगवान महावीर
काव्य साहित्य | गीत-नवगीत रंजना जैन1 May 2021 (अंक: 180, प्रथम, 2021 में प्रकाशित)
जिन धर्म दर्शन का फिर हुआ सवेरा
माँ त्रिशला ने जाया ऐसा नंदन अलबेला!
धर्म तो बहुत था पर मर्म से अनजान थे
आत्म ज्ञान पाकर के हो गये निहाल से
ख़ुद से ख़ुद को जानने का आनंद गहरा
माँ त्रिशला ने जाया ऐसा नंदन अलबेला॥
अहिंसा की शक्ति ने जीना सिखा दिया
उदारता को बल मिला 'जीने दो' बता दिया
प्रेम के संदेश से शांति सुख बिखेरा
माँ त्रिशला ने जाया ऐसा नंदन अलबेला॥
तुमसे ही पायी साधना की नीति है
सत्यता के योग की अभिनव परिणीति है
मिल गया है जग को मंत्र सम्यक सुनहरा
माँ त्रिशला ने जाया ऐसा नंदन अलबेला॥
अन्य संबंधित लेख/रचनाएं
अंतिम गीत लिखे जाता हूँ
गीत-नवगीत | स्व. राकेश खण्डेलवालविदित नहीं लेखनी उँगलियों का कल साथ निभाये…
टिप्पणियाँ
कृपया टिप्पणी दें
लेखक की अन्य कृतियाँ
कविता
गीत-नवगीत
सामाजिक आलेख
विडियो
उपलब्ध नहीं
ऑडियो
उपलब्ध नहीं