सिंचन
काव्य साहित्य | कविता मोतीलाल दास15 Jul 2022 (अंक: 209, द्वितीय, 2022 में प्रकाशित)
तुम
गिरते रहे
मेरे भीतर
बारिश के बूँदें बनकर
मैं
भीगती रही
उल्लास की संवेदना से
और हरी हो गई
ठीक धरती की तरह।
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