खिलौना
काव्य साहित्य | कविता मोतीलाल दास15 Jul 2022 (अंक: 209, द्वितीय, 2022 में प्रकाशित)
मैं थी
रसोई में उलझी
और तुम
बिछावन में तलाशते रहे
मैं थी
बच्चों को पढ़ाते हुए
और तुम
बाँहों में बाँधना चाहते रहे
मैं थी
आँगन बुहारते हुए
और तुम
गले लगाना चाहते रहे
मैं थी
उसी बिछावन में
तुम्हारी ज़रूरत के लिए
पर तुम
वहाँ नहीं थे
और तुम जहाँ थे
वहाँ मैं नहीं थी।
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