विद्रोह
काव्य साहित्य | कविता मोतीलाल दास15 Jul 2022 (अंक: 209, द्वितीय, 2022 में प्रकाशित)
एक लय थी
एक सुर
और राग भी
तेरे हर लम्हे में
जब तुम्हें
ठूँस दिया गया
चूल्हे की आँच में
और बिछवान की सलवटों में
न जाने कैसे
वो राग
वो लय
और वह सुर
बिला गया
तेरे हर लम्हे से
शायद सभी कुछ
नहीं बदलता
यदि तुम सीख पाती
चीखने की कला।
अन्य संबंधित लेख/रचनाएं
टिप्पणियाँ
कृपया टिप्पणी दें
लेखक की अन्य कृतियाँ
पुस्तक समीक्षा
लघुकथा
कविता
विडियो
उपलब्ध नहीं
ऑडियो
उपलब्ध नहीं