अन्तरजाल पर
साहित्य-प्रेमियों की विश्राम-स्थली

काव्य साहित्य

कविता गीत-नवगीत गीतिका दोहे कविता - मुक्तक कविता - क्षणिका कवित-माहिया लोक गीत कविता - हाइकु कविता-तांका कविता-चोका कविता-सेदोका महाकाव्य चम्पू-काव्य खण्डकाव्य

शायरी

ग़ज़ल नज़्म रुबाई क़ता सजल

कथा-साहित्य

कहानी लघुकथा सांस्कृतिक कथा लोक कथा उपन्यास

हास्य/व्यंग्य

हास्य व्यंग्य आलेख-कहानी हास्य व्यंग्य कविता

अनूदित साहित्य

अनूदित कविता अनूदित कहानी अनूदित लघुकथा अनूदित लोक कथा अनूदित आलेख

आलेख

साहित्यिक सांस्कृतिक आलेख सामाजिक चिन्तन शोध निबन्ध ललित निबन्ध हाइबुन काम की बात ऐतिहासिक सिनेमा और साहित्य सिनेमा चर्चा ललित कला स्वास्थ्य

सम्पादकीय

सम्पादकीय सूची

संस्मरण

आप-बीती स्मृति लेख व्यक्ति चित्र आत्मकथा वृत्तांत डायरी बच्चों के मुख से यात्रा संस्मरण रिपोर्ताज

बाल साहित्य

बाल साहित्य कविता बाल साहित्य कहानी बाल साहित्य लघुकथा बाल साहित्य नाटक बाल साहित्य आलेख किशोर साहित्य कविता किशोर साहित्य कहानी किशोर साहित्य लघुकथा किशोर हास्य व्यंग्य आलेख-कहानी किशोर हास्य व्यंग्य कविता किशोर साहित्य नाटक किशोर साहित्य आलेख

नाट्य-साहित्य

नाटक एकांकी काव्य नाटक प्रहसन

अन्य

रेखाचित्र पत्र कार्यक्रम रिपोर्ट सम्पादकीय प्रतिक्रिया पर्यटन

साक्षात्कार

बात-चीत

समीक्षा

पुस्तक समीक्षा पुस्तक चर्चा रचना समीक्षा
कॉपीराइट © साहित्य कुंज. सर्वाधिकार सुरक्षित

व्यथित भारती 


(सॉनेट) 
 
वह अतीत भी रक्तिम था यह समय भी रक्तिम होगा 
वर्तमान के वस्त्र में एक भविष्य भी रहेगा भयभीत 
सिंदूरी मृण में तल्लीन होता श्वास यदि अंतिम होगा 
क्यों स्वर्ग की प्रतीक्षा में नित्य, है मौन हृदय-प्रमीत? 
 
जल में थल को लीन होते करती हूँ सदा निरीक्षण 
अनाहूत सी रश्मि मैं, होती संकुचित अशुद्ध वायु में 
न होती परिपूर्ण अतिमित अभीप्सा एवं प्रतीक्षण 
मैं रहती अस्पृश्य व प्रलंबित देह की रिक्त स्नायु में। 
 
जिसकी सीमा उदीची हिमगिरि में होती उदासीन 
जिसकी वेदना होती दक्षिण गह्वर की भित्ति प्रस्थ 
क्यों आज यह म्लान, उन्मत्त, उन्मादन में है आसीन 
क्या यह भारतवर्ष नहीं है मेरे कुमानस में गर्भस्थ? 
 
मैं समय सीमांत की स्वर्णिम भारती! चाहूँ होना मुक्त 
भ्रष्टाचार से निपीत काल से मैं, हो जाऊँ आज उन्मुक्त। 

अन्य संबंधित लेख/रचनाएं

'जो काल्पनिक कहानी नहीं है' की कथा
|

किंतु यह किसी काल्पनिक कहानी की कथा नहीं…

14 नवंबर बाल दिवस 
|

14 नवंबर आज के दिन। बाल दिवस की स्नेहिल…

16 का अंक
|

16 संस्कार बन्द हो कर रह गये वेद-पुराणों…

16 शृंगार
|

हम मित्रों ने मुफ़्त का ब्यूटी-पार्लर खोलने…

टिप्पणियाँ

कृपया टिप्पणी दें

लेखक की अन्य कृतियाँ

कविता

पुस्तक समीक्षा

विडियो

उपलब्ध नहीं

ऑडियो

उपलब्ध नहीं