स्वतंत्रता का अमर गान
काव्य साहित्य | कविता मनीषा कुमारी आर्जवाम्बिका15 Aug 2025 (अंक: 282, प्रथम, 2025 में प्रकाशित)
स्वतंत्रता की बलि वेदी पर
वीरों ने कर दिया बलिदान
स्वराज्य-सिद्धि के यत्नों में
किया उन्होंने प्राण-दान
रक्त-बिंदु से सिंचित धरती
बनी अमरत्व की पहचान
अन्याय-अंधकार हरने को
जलती रही क्रांति की शान
शौर्य-ध्वजा नभ में लहराई
गूँजा भारत का अभिमान
बंधन-शृंखला तोड़ सभी ने
गढ़ा स्वतंत्रता का विधान
अब इस पावन धरा पर हम
रखें सदा उसका मान
बलिदानी स्मृति सँजोएँ हम
यही हो सच्चा सम्मान
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