रिश्ते
काव्य साहित्य | कविता सुषम बेदी16 Nov 2007
रिश्ते टूटते हैं व्यक्ति नहीं
पत्ते टूटते हैं, पेड़ नहीं।
क्योंकि
जब व्यक्ति टूटता है
तो पेड़, पत्ता,
कुछ भी नहीं रहता।
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