भावना
काव्य साहित्य | कविता राजीव नामदेव ’राना लिधौरी’1 May 2024 (अंक: 252, प्रथम, 2024 में प्रकाशित)
देखें वे हैं भावना,
जिसमें जैसी पाय।
माता के दरबार में,
वैसा ही फल पाय॥
भावनाशून्य हो गया,
अब तो ये इंसान।
मुश्किल है पहचानना,
मानव या शैतान॥
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