बड़े शहर
काव्य साहित्य | कविता - हाइकु राजीव नामदेव ’राना लिधौरी’15 Sep 2025 (अंक: 284, द्वितीय, 2025 में प्रकाशित)
1.
अपनापन,
ढूँढ़े नहीं मिलता।
बड़े शहर॥
2.
जीना मुश्किल,
बढ़ती महँगाई।
बड़े शहर॥
3.
होते क़हर,
रोज़ ढाते सितम।
बड़े शहर॥
4.
ख़ूब है पैसा,
मिलता यहाँ पर।
बड़े शहर॥
5.
दम निकले,
ख़ून चूस लेते हैं।
बड़े शहर॥
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