ज़रा मुस्कुराइये
शायरी | ग़ज़ल राजीव नामदेव ’राना लिधौरी’1 Aug 2021 (अंक: 186, प्रथम, 2021 में प्रकाशित)
मफ़ऊलु फ़ाइलातु मुफ़ाईलु फ़ाइलुन
२२१ / २१२१ / १२२१ / २१२
मायूस होके इतने न आंसू बहाइये
दुनिया के हर सितम पे ज़रा मुस्कुराइये
भारी तो है ज़रूर ज़माने के ग़म बोझ
आगे मगर किसी के न सर को झुकाइये
रहमत का रव कीजिए थोड़ा सा इंतज़ार
दीपक उम्मीद का न अभी से बुझाइये
करनी है आपको भी बहुत तय रहे हयात
राहों में दूसरों की न कांटे बिछाइये
दुनिया के रंजो ग़म से बहुत कर चुके वफ़ा
'राना' न अपने आप पे अब ज़ुल्म ढाइये
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