दिल की कटुता रार, मिटा ही देना तुम
काव्य साहित्य | गीतिका राजीव नामदेव ’राना लिधौरी’1 May 2024 (अंक: 252, प्रथम, 2024 में प्रकाशित)
दिल की कटुता रार, मिटा ही देना तुम।
कोई अच्छा फूल, खिला ही देना तुम॥
करना यहाँ यक़ीन, वफ़ाओ पर भी तुम।
अपना हम से हाथ, मिला ही देना तुम॥
चाहूँ मैं पैग़ाम, अमन का तुम सबसे।
जग में बने मिसाल, सिला ही देना तुम॥
दुनिया करती घात, नहीं ग़म करना तुम।
अपना हमको नेह, पिला ही देना तुम॥
रहूँ तुम्हारे पास, चाहता राना ये।
रहने को दिल आप, क़िला ही देना तुम॥
‘राना’ कहता आज, सँवर कर रहना तुम।
जन्नत जैसा आज, ज़िला ही देना तुम॥
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