इत्तेफ़ाक़
काव्य साहित्य | कविता अर्चना कोहली ‘अर्चि’1 Sep 2023 (अंक: 236, प्रथम, 2023 में प्रकाशित)
आभासी संसार में, मिलते रहते लोग।
इत्तिफ़ाक़ होते सदा, कैसा यह है योग॥
कुछ से हम दिल से जुड़े, देते ख़ुशियाँ रंग।
रिश्ते बनते हैं नए, जग सारा है दंग॥
चलते-चलते राह में, टकरा जाते आप।
सुंदर जीवन पग धरे, कब आ जाए ताप॥
दुश्मन से जब हम घिरे, मिलते तारणहार।
फँसते हैं मँझधार में, हो जाते तब पार॥
बार-बार कोई मिले, कोई खोता भीड़।
कब बदले रुख़ ज़िन्दगी, बनते-बिगड़े नीड़॥
क़िस्मत या संयोग है, पता नहीं क्या राज़।
नृप बन जाते दीन हैं, पहने सुंदर ताज॥
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