आई होली
काव्य साहित्य | दोहे अर्चना कोहली ‘अर्चि’1 Apr 2024 (अंक: 250, प्रथम, 2024 में प्रकाशित)
होली का त्योहार है, बिखरे भू पर रंग।
हमजोली सब साथ हैं, ख़ुशियाँ अब हैं संग॥
दमकी वसुधा आज है, खेला उसने फाग।
सुंदर टेसू खिल रहे, प्यारे लगते बाग़॥
आई कोंपल आम में, कुहुकी श्यामा आज।
सतरंगी वसुधा हुई, छूटी सब है लाज॥
हरित हुए सब पात हैं, नाच रहा मन मोर।
मस्त हैं सब मतंग से, चहुँदिश में है शोर॥
अंबर भी रंगीन है, भीगे सबके गात।
झूमे सारे लोग हैं, जल की अब बरसात॥
हुई शीत की वापसी, सुहावनी है वात।
घर-घर ही गुझिया बने, सुंदर है सौग़ात॥
सबके मुखड़े लाल हैं, सजते अब हैं थाल।
खिले अर्चना देखकर, सिंदूरी हैं भाल॥
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