नये वर्ष की मधुर बधाई
काव्य साहित्य | कविता डॉ. गोरख प्रसाद ’मस्ताना’1 Jan 2020 (अंक: 147, प्रथम, 2020 में प्रकाशित)
टूटी छप्पर छानी वाले गाँव को
छाले पर छाले ढोते उस पाँव को
नये वर्ष की मधुर बधाई
नमक रोटियों वाली आधी थाली को
बिखरे सपनों वाली आँख सवाली को
नये वर्ष की मधुर बधाई
आसमान में हँसते चँदा तारों को
काँप रहे कथरी में दीन दुलारों को
नये वर्ष की मधुर बधाई
अंहकार से भरे हुए उपहारों को
अनय बिछाने वाले कुटिल विचारों को
नये वर्ष की मधुर बधाई
अपने अल्पज्ञान व अपनी लघुता को
जो स्वयं में ज्ञानी हैं उनकी प्रभुता को
नये वर्ष की मधुर बधाई
संविधान को गाली देते नारों को
पाखंडों के पोषक उन मक्कारों को
नये वर्ष की मधुर बधाई।
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