क्यों करती रतजागे?
काव्य साहित्य | कविता डॉ. रामवृक्ष सिंह1 Jul 2021 (अंक: 184, प्रथम, 2021 में प्रकाशित)
पौ तो फटी नहीं ओ चिड़िया, क्यों करती रतजागे?
क्या तेरा परिजन भी कोई बार-बार जल माँगे?
ज्वर से तपता शिशु तेरा भी सोता नहीं बता क्या?
या फिर तेरे नीड़ का आकर पूछे कोई पता क्या?
सो जा रे चिड़िया, निशीथ को घर अपने दे जाने।
पौ फट जाए, तब जाना चुगने खेतों में दाने।
मत चिन्ता कर व्यर्थ, हाथ में बता कहाँ कुछ तेरे।
ओ चिड़िया, पौ फटेगी, होंगे दूर सभी अन्धेरे।
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