हाँ, वो मेरे दिल में रहता है
काव्य साहित्य | कविता कविता1 Mar 2020 (अंक: 151, प्रथम, 2020 में प्रकाशित)
हाँ, मैं लिखती हूँ उसको
वो मेरे शब्दों में रहता है
हाँ, मैं खोजती हूँ उसको
वो मेरे ख़्यालों में रहता है
हाँ. वो प्यार है मेरा
वो मेरे दिल में रहता है...
हाँ, वो दिल है मेरा
मेरी धड़कन में रहता है
हाँ, वो ख़्वाब है मेरा
वो मेरी तन्हाई में बसता है
हाँ, वो प्यार है मेरा
वो मेरे दिल में रहता है...
हाँ, मैं सजती हूँ उसके लिए
वो मेरे सिंगार में रहता है
हाँ, मैं पहनती हूँ उसको
वो मेरे लिबास में रहता है
हाँ, वो प्यार है मेरा
वो मेरे दिल में रहता है...
हाँ वो जनून है मेरा
वो मेरी रग-रग में बसता है
हाँ, वो सुकून है मेरा
वो मेरी नस-नस में बहता है
हाँ, वो प्यार है मेरा
वो मेरे दिल में रहता है...
अन्य संबंधित लेख/रचनाएं
टिप्पणियाँ
कृपया टिप्पणी दें
लेखक की अन्य कृतियाँ
कविता
विडियो
उपलब्ध नहीं
ऑडियो
उपलब्ध नहीं