आत्मनिर्भर भारत
काव्य साहित्य | कविता शुभि अग्रवाल15 Oct 2020 (अंक: 167, द्वितीय, 2020 में प्रकाशित)
आत्मनिर्भर भारत
मिसाइल हो अपनी
ए के 47 हो अपनी
अरिहंत हो अपनी
आत्मनिर्भर भारत
राफ़ेल चिनूक हो अपना
सुखोई मिराज जगुआर
सब पे नाम हो अपना
आत्मनिर्भर भारत
परमाणु हथियार हों अपने
व्यापार हों अपने
रोज़गार हों अपने
आत्मनिर्भर भारत
सब कुछ अपना अपना अपना
पर . . .
आत्मनिर्भर बेटी
स्कूल कॉलेज छोड़ कर आते
पापा हर जगह साथ में जाते
आत्मनिर्भर भारत
स्कूटी से ख़ुद कॉलेज जाऊँ
कैसे ऐसा माहौल बनाऊँ
आत्मनिर्भर भारत
राफ़ेल से होगी सीमा की चौकसी
अपनी चौकसी के लिए किसको बिठाऊँ
आत्मनिर्भर भारत
अकेले घूमती हो तभी कांड होते हैं
ऐसी सोच वालों को कैसे समझाऊँ
बेटो में बदलाव लाओ
बेटी पर ना कीचड़ लगाओ
आत्मनिर्भर भारत
ए के 47 हर बेटी को पकड़ाओ
उसे निशाना लगाना सिखाओ
आत्मनिर्भर भारत
क़ानून में है ऐसा प्रावधान
जो हाथ लगाए
पहुँचा दो उसको सीधा श्मशान
आत्मनिर्भर बेटी
से ही होगी अब
इस देश की पहचान
यही है एक समाधान॥
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