उसने सोचा था
काव्य साहित्य | कविता पूनम कुमारी15 Sep 2023 (अंक: 237, द्वितीय, 2023 में प्रकाशित)
उसने सोचा था
मैं टूटकर
बिखर जाऊँगी
शीशे की तरह
इसलिए मारता रहा
वह पत्थर
शीशा समझकर
पर, देखा जब उसने
मैं बिखरी नहीं
पत्थरों से उसके
शीशे की तरह
तो
ख़ुद ही बिखर गया
वो पत्थर के
टुकड़ों की तरह
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