चिड़िया का वादा
काव्य साहित्य | कविता डॉ. राजेन्द्र गौतम31 Dec 2007
चिड़िया का वादा है
मैं चुप्पी तोड़ूँगी
वर्षों से आले में पुरे जाले
गीत-ग़ज़ल-किस्सों पर
जंग लगे ताले
बुलबुल का वादा है
मैं चुप्पी तोड़ूँगी
बौराए आमों-से
सपनों पर पहरा
काफ़िला खुशबुओं का
दूर कहीं ठहरा
कोयल का वादा है
मैं चुप्पी तोड़ूँगी
बादल की बारातें
आईं थीं, निकल गईं
पथराई झीलों से
वार्त्ताएँ विफल हुईं
सारस का वादा है
मैं चुप्पी तोड़ूँगी
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