अन्तरजाल पर
साहित्य-प्रेमियों की विश्राम-स्थली

काव्य साहित्य

कविता गीत-नवगीत गीतिका दोहे कविता - मुक्तक कविता - क्षणिका कवित-माहिया लोक गीत कविता - हाइकु कविता-तांका कविता-चोका कविता-सेदोका महाकाव्य चम्पू-काव्य खण्डकाव्य

शायरी

ग़ज़ल नज़्म रुबाई क़ता सजल

कथा-साहित्य

कहानी लघुकथा सांस्कृतिक कथा लोक कथा उपन्यास

हास्य/व्यंग्य

हास्य व्यंग्य आलेख-कहानी हास्य व्यंग्य कविता

अनूदित साहित्य

अनूदित कविता अनूदित कहानी अनूदित लघुकथा अनूदित लोक कथा अनूदित आलेख

आलेख

साहित्यिक सांस्कृतिक आलेख सामाजिक चिन्तन शोध निबन्ध ललित निबन्ध हाइबुन काम की बात ऐतिहासिक सिनेमा और साहित्य सिनेमा चर्चा ललित कला स्वास्थ्य

सम्पादकीय

सम्पादकीय सूची

संस्मरण

आप-बीती स्मृति लेख व्यक्ति चित्र आत्मकथा वृत्तांत डायरी बच्चों के मुख से यात्रा संस्मरण रिपोर्ताज

बाल साहित्य

बाल साहित्य कविता बाल साहित्य कहानी बाल साहित्य लघुकथा बाल साहित्य नाटक बाल साहित्य आलेख किशोर साहित्य कविता किशोर साहित्य कहानी किशोर साहित्य लघुकथा किशोर हास्य व्यंग्य आलेख-कहानी किशोर हास्य व्यंग्य कविता किशोर साहित्य नाटक किशोर साहित्य आलेख

नाट्य-साहित्य

नाटक एकांकी काव्य नाटक प्रहसन

अन्य

रेखाचित्र पत्र कार्यक्रम रिपोर्ट सम्पादकीय प्रतिक्रिया पर्यटन

साक्षात्कार

बात-चीत

समीक्षा

पुस्तक समीक्षा पुस्तक चर्चा रचना समीक्षा
कॉपीराइट © साहित्य कुंज. सर्वाधिकार सुरक्षित

नाट्यकथा: कथा सिया राम की का भावपूर्ण प्रस्तुतीकरण

 

दिनांक 06-03-2024 को राष्ट्रीय आधुनिक कला संग्रहालय, नई दिल्ली में मुक्ताकाशीय मंच पर रामायणगाथा कार्यक्रम के अंतर्गत पद्मविभूषण डॉ. सोनल मानसिंह और उनके शिष्यों द्वारा  नाट्यकथा : कथा सिया राम की का भावपूर्ण प्रस्तुतीकरण किया गया। इसी वर्ष अप्रैल माह में अपने जीवन के संगीतमय अस्सी वसंत पूर्ण करने जा रहीं भरतनाट्यम और ओडिसी नृत्य विधा की अतीव गुणी एवं सिद्धहस्त कलाकार डॉ. सोनल मानसिंह ने अपनी टीम के साथ रामचरितमानस की चौपाइयों के लयबद्ध गायन आधारित नृत्य के माध्यम से भगवान श्रीराम के जीवन के विभिन्न पक्षों को बड़े ही प्रभावपूर्ण अंदाज़ में प्रस्तुत किया। नाट्यकथा का आरंभ राजा दशरथ द्वारा संतान प्राप्ति हेतु पुत्रेष्टि यज्ञ करने के साथ हुआ और फिर चारों भाइयों के जन्म के समय बधाई गीत, उनके बाल्यकाल का मनोहारी चित्रण, ऋषि विश्वामित्र का राजमहल में आगमन और अपने आश्रम में विश्वकल्याण हेतु यज्ञादि आयोजनों के निर्विघ्न-निष्कंटक पूर्णाहुति के लिए दुष्ट राक्षसों के समूल नाश के निमित्त राजा दशरथ से राम एवं लक्ष्मण को साथ भेजने का अनुरोध, दोनों भाइयों द्वारा वन में आततायी राक्षसों का अंत करना और राजा जनक के निमंत्रण पर ऋषि विश्वामित्र का राम-लक्ष्मण सहित सीता-स्वयंवर में शामिल होना तथा देश-देश से सभा में पधारे समस्त भूपतियों के शिव धनुष को टस से मस नहीं कर पाने के बाद राम के द्वारा प्रत्यंचा चढ़ाने के प्रयास में धनुष भंग के उपरांत राम-सीता के विवाह के साथ यह नृत्य नाटिका संपन्न हुई। नृत्यकला की साधना में व्यतीत डॉ. सोनल मानसिंह का जीवन और उससे उपजा अनुभव पूरे कार्यक्रम के दौरान उनकी भाव-भंगिमाओं से प्रतिपल मुखरित होता रहा जिसने उपस्थित नृत्यानुरागी दर्शकों में सूक्ष्म स्पंदन का संचार करने के साथ ही उन्हें आनंदातिरेक से भर दिया।

कार्यक्रम के समापन सत्र में राष्ट्रीय आधुनिक कला संग्रहालय के महानिदेशक डॉ. संजीव किशोर गौतम ने  इस सुंदर एवं मर्मस्पर्शी प्रस्तुति हेतु डॉ. सोनल मानसिंह और उनकी पूरी टीम का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि बहुत दिनों से उनके विचार में दृश्य-कला और संगीत-मंच कला को एक साथ जोड़ने की इच्छा बलवती हो रही थी। निश्चय ही यह कार्यकम उसी रचनाशील विचार प्रक्रिया की उपज है। वर्तमान में तेज़ी से क्षरित होते जीवन-मूल्यों को सहेजने की ज़िम्मेदारी साहित्य, संगीत और कला के ऊपर एक साथ आन पड़ी है। अतः, इस पुनीत उद्देश्य के लिए सभी प्रकार की कलाओं द्वारा एकजुट प्रयास अपेक्षित है। निश्चय ही जब हम भारतीय समाज में सभ्यता एवं संस्कृति को संपुष्ट करने का हेतु रचते हैं तो इस संदर्भ में मर्यादा पुरुषोत्तम से उत्तम व्यक्तित्व और कौन हो सकता है। इसी को ध्यान में रखते हुए मैंने आदरणीया डॉ. सोनल मानसिंह जी के पास इस नृत्य-नाटिका की प्रस्तुति हेतु निवेदन भेजा और उनके उदार हृदय ने हमारे अनुरोध को स्वीकार किया, इसके लिए समस्त एनजीएमए परिवार की ओर से हम आपका हृदयतल से आभार व्यक्त करते हैं। 

प्रेषक: राघवेन्द्र पाण्डेय

नाट्यकथा: कथा सिया राम की का भावपूर्ण प्रस्तुतीकरण

हाल ही में

अन्य समाचार