मैं गीत लिखूँगी
काव्य साहित्य | गीत-नवगीत आशा बर्मन1 Jan 2021 (अंक: 172, प्रथम, 2021 में प्रकाशित)
मैं गीत लिखूँगी तब तक,
जब तक न तुम उसे गाओगे।
मेरे अन्तर की वाणी को,
निज स्वर में तुम दोहराओगे॥
सब गीत मेरे तुम तक जाते,
इनमें सब भाव तुम्हारे हैं।
अन्तर्मानस नभ में शोभित,
जलते-बुझते सितारे हैं॥
जैसे मुझको अपनाया है,
वैसे इनको अपनाओगे।
मेरे अन्तर की वाणी को,
निज स्वर में तुम दोहराओगे॥
शब्द नहीं साधारण ये,
मेरे उर की हैं ज्वाला।
ना समझो तो है जल सादा,
समझो तो है मधु का प्याला॥
मधु के मोल को जानो तुम,
खो दिया तो फिर क्या पाओगे?
मेरे अन्तर की वाणी को,
निज स्वर में तुम दोहराओगे॥
हममें-तुममें न कोई अन्तर,
ये गीत तुम्हें बतलायेंगे।
जन्मान्तर तक ये प्यार रहे,
ऐसा विश्वास दिलायेंगे॥
मन का बन्धन है अटूट,
इसको न तोड़ तुम पाओगे।
मेरे अन्तर की वाणी को,
निज स्वर में तुम दोहराओगे॥
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